Friday, December 21, 2018

दिलीप कुमार का म्यूज़ियम बनवाना चाहती हैं सायरा बानो

अपने समय की मशहूर अदाकारा सायरा बानो ने कई बार ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का समय मांगा है.

16 दिसंबर को सायरा ने अपने पति दिलीप कुमार के बंगले को लेकर चल रहे प्रॉपर्टी विवाद में उनसे मदद की गुजारिश की थी, हालांकि प्रधानमंत्री 18 दिसंबर को मुंबई में थे लेकिन सायरा बानो की उनसे मुलाकात नहीं हुई.

वयोवृद्ध अभिनेता दिलीप कुमार का मुंबई के घर को लेकर पिछले 10 बरसों से चल रहा विवाद अब और भी ज्यादा गहरा गया है. क्योंकि सायरा बानो ने बिल्डर समीर भोजवानी की शिकायत महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस के साथ, पीएम नरेंद्र मोदी से की है.

बीबीसी ने बिल्डर समीर भोजवानी और उनके वकील अमित देसाई से फ़ोन पर बात करने की कई कोशिशें कीं लेकिन उन्होंने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

मुंबई पुलिस के प्रवक्ता मंजूनाथ सिंगे ने पत्रकारों को बताया कि "इस मामले को जल्दी और कानून के मुताबिक निबटाया जाएगा. हमने अपनी तरफ़ से पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है."

यूँ आए दिन हजारों लोग अपने प्रॉपर्टी या अन्य झगड़ों को लेकर अपने राज्य के मुख्यमंत्री सहित देश के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से मदद की गुहार लगाते रहते हैं. लेकिन मामला जब दादा साहब फाल्के अवार्ड से सम्मानित और लोकप्रिय अभिनेता 96 वर्षीय दिलीप कुमार का हो तो बात सुर्ख़ियों में आ ही जाती है.

दिलीप कुमार पिछले करीब 10 बरसों से अपनी खराब तबीयत के कारण खुद इस तरह के मामलों को हल करने की स्थिति में नहीं हैं इसलिए उनकी पत्नी सायरा उनकी जगह खुद ट्वीट करके इस लड़ाई को लड़ रही हैं.

सायरा बानो इस मामले में क्या कहती हैं और क्या है उनका दर्द. इस पर उनसे हुई एक ख़ास बातचीत.

दिलीप साहब के बंगले को लेकर आपका विवाद तो पिछले दस साल से चल रहा है लेकिन अब ऐसा क्या हुआ कि आपको इस सबको लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक को ट्वीट करके उनसे मदद मांगनी पड़ी.

असल में हम पिछले दस साल से यह लड़ाई लड़कर परेशान हो चुके हैं. मेरी इच्छा है कि दिलीप साहब जिस घर में बरसों रहे, अल्लाह के फज़ल से उस घर को फिर से डेवेलप करके वहां उनका म्यूजियम बनवाना चाहती हूँ. जहाँ उनकी तमाम यादगार चीज़ों के साथ उनको मिले अवार्ड्स वगैरह रखे जा सकें. जिससे उनकी यादें कायम रहें. जैसे बहुत से विदेशी कलाकारों के भी म्यूजियम बने हुए हैं. मैं चाहती हूँ कि इस म्यूजियम का उदघाटन दिलीप साहब खुद अपने हाथों से करें. लेकिन बिल्डर समीर भोजवानी हमको लगातार तंग कर रहा है. जिससे हमारा यह सपना पूरा होने में दिक्कत आ रही है.

Friday, December 7, 2018

कभी अमरीका की आंखों का तारा पाकिस्तान क्यों हुआ पराया

न्यूयॉर्क और वॉशिंगटन में 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद से अमरीका के लिए विदेश नीति के हिसाब से पाकिस्तान की अहमियत अधिक बढ़ गई थी.

उन हमलों के बाद 2002 में अफ़ग़ानिस्तान में अमरीकी हमले के ज़रिए तालिबान की हुकूमत को उखाड़ फेंका गया और तब से वहां अमरीकी सैन्य अभियान जारी है.

पिछले 70 सालों में पाकिस्तान के साथ अमरीका के रिश्तों में उतार चढ़ाव आते रहे हैं, लेकिन पिछले 18 वर्षों में विभिन्न अमरीकी सरकारों का यह मानना रहा है और मौजूदा सरकार का भी है कि अफ़ग़ानिस्तान में शांति कायम करने के लिए यह ज़रूरी है कि पाकिस्तान की मदद ली जाए.

लेकिन मौजूदा अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के पाकिस्तान के बारे में सख़्त बयानों से दोनों देशों के बीच तनाव सबसे अधिक बढ़ा है.

राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि "पाकिस्तान में हर किसी को पता था कि ओसामा बिन लादेन सैन्य अकादमी के क़रीब ही रहता है, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया. हम उन्हें 1.3 अरब डॉलर हर वर्ष आर्थिक मदद दे रहे हैं. हमने अब यह मदद बंद कर दी है क्योंकि वह हमारे लिए कुछ नहीं करते."

सैन्य और आर्थिक मोर्चे पर अमरीकी मदद
इसके जवाब में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि अमरीका अफ़ग़ानिस्तान में अपनी नाकामियों की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान पर डालने की कोशिश न करे.

सिर्फ़ बयानों तक ही नहीं बल्कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान की तकरीबन सारी आर्थिक मदद भी रोक दी है.

अमरीका का कहना है कि पाकिस्तान जब तक तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा जैसे चरमपंथी गुटों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं करता और उन्हें पनाह देना बंद नहीं करता तब तक आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी.

लेकिन अमरीका ने पाकिस्तान को अब तक कितनी और कैसी आर्थिक मदद दी इस पर एक नज़र डालते हैं.

पाकिस्तान की स्थापना के बाद से ही अमरीका ने आर्थिक और सैन्य मदद देने की शुरुआत कर दी थी.

1950 से 1964 के बीच जब अमरीका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध जारी था तब अमरीका के सरकारी आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान को 1954 के एक सुरक्षा समझौते के तहत करीब 2.5 अरब डॉलर की आर्थिक मदद और 70 करोड़ डॉलर सैन्य मदद के तौर पर दिए गए.

Monday, December 3, 2018

ऐसे ही फ़्रंट पर नहीं खेल रहे नवजोत सिद्धूः नज़रिया

नवजोत सिंह सिद्धू जिस तरह से फ्रंट पर आ कर खेल रहे हैं, उसे कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके वफ़ादारों को बदलाव के स्पष्ट संकेत के रूप में लेना चाहिए.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सिद्धू पर विश्वास है और यही कारण है कि राहुल गांधी के बाद वो स्टार कैंपेनर की सूची में दूसरे नंबर पर हैं.

वो उन सभी कांग्रेस वर्किंग कमिटी, महासचिव और अमरिंदर सिंह जैसे मुख्यमंत्रियों से आगे हैं, जिनकी पकड़ पंजाब के बाहर ढीली है.

दूसरे शब्दों में कहें तो क्रिकेट के दिनों में लोगों का दिल जीतने वाले सिद्धू अगले विधानसभा चुनावों से पहले चुनावी पिच पर बतौर ओपनर उतरने की तैयारी कर रहे हैं.

पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होंगे.

सिद्धू वाक्-कला के धनी हैं और वो जानते हैं कि पार्टी लाइन से हटकर और मर्यादित भाषा में जवाब किस तरह दिया जाता है.

इसलिए जब उन्होंने अमरिंदर सिंह को अभिभावक, मार्गदर्शक और एक नेता बताया तो यह उनके अपने शब्द वापस लेने या माफ़ी मांगने से कहीं ज्यादा मैत्रीपूर्ण लगा.

करतारपुर के हीरो साबित हुए सिद्धू
पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गलियारा की नींव रखने के कार्यक्रम में भारत की ओर से पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी शामिल हुए.

गलियारा के शिलान्यास के दौरान सिद्धू बोले कि हिंदुस्तान जीवे, पाकिस्तान जीवे. उन्होंने कहा कि मुझे कोई डर नहीं, मेरा यार इमरान जीवे.

यहां वो एक अलग और सक्रिय भूमिका में दिखे.

सिद्धू के साथ नज़र आए 'ख़ालिस्तान समर्थक' चावला कौन हैं
कैप्टन अमरिंदर ने इसलिए ठुकराया पाकिस्तान का न्योता
सिद्धू में राहुल गांधी के कांग्रेस को एक नेता नज़र आता है, जो दूसरे अकालियों और अमरिंदर सिंह, दोनों से ऊपर साबित हो सकता है.

सिखों में सिद्धू करतारपुर के हीरो साबित हुए हैं. पांच राज्यों में हो रहे चुनावों के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने अंदाज़ में घेरा.

11 दिसंबर तय करेगा सिद्धू का भविष्य
सिद्धू को सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की मर्जी के ख़िलाफ़ पार्टी में जगह दी थी, यह जानते हुए कि वो बीजेपी से जुड़े रहे थे और आम आदमी पार्टी के साथ मोलभाव में थे.

अगर आगामी 11 दिसंबर को पार्टी राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में बेहतर प्रदर्शन करती है तो पंजाब की राजनीति को शायद झटका लगेगा.

जब भी किसी कांग्रेस नेता की छवि बड़ी होने लगती है, पार्टी हाईकमान नेतृत्व की दूसरी पंक्ति तैयार करने लगता है और यह जगज़ाहिर है.

अगर 11 दिसंबर को कांग्रेस मज़बूत स्थिति में उभरती है तो जाहिर है राहुल गांधी का क़द और उनका प्रभाव बढ़ेगा. इससे उनके विश्वस्त लोगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जिसके बाद चंडीगढ़ में एक नए नेतृत्व का उदय भी हो सकता है.

Friday, November 30, 2018

हॉकी वर्ल्ड कप: भारत का जोरदार आगाज, साउथ अफ्रीका को 5-0 से रौंदा

भारत ने हॉकी वर्ल्ड कप में जोरदार शुरुआत की है. बुधवार को उसने अपने पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका को 5-0 से रौंद डाला. वर्ल्ड रैंकिंग में पांचवें नंबर पर काबिज भारत की ओर से मनदीप सिंह (10वें मिनट में), आकाशदीप (12वें मिनट में),  सिमरनजीत (43 और 46वें मिनट में) और ललित उपाध्याय (45वें मिनट में) ने गोल दागे.

कलिंगा स्टेडियम में खेले गए इस मैच में 15वीं रैंकिंग वाली 'कमजोर' दक्षिण अफ्रीकी टीम गोल का खाता भी नहीं खोल पाई. अब पूल-सी में दो दिसंबर को भारत का मुकाबला बेल्जियम से होगा.

भारतीय टीम विश्व कप का खिताब जीतकर 43 साल का सूखा समाप्त करने के अभियान पर है. हालांकि टीम के लिए अपने इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होगा. भारत की खिताबी राह में ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, नीदरलैंड्स, जर्मनी और पाकिस्तान जैसी टीमें परेशानी बनकर खड़ी हो सकती हैं.

मैच रिपोर्ट-

भारतीय हॉकी टीम ने खचाखच भरे स्टेडियम में दर्शकों को तनिक भी निराश नहीं किया. अब तक एकमात्र 1975 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम को इस बार खिताब के प्रबल दावेदारों में माना जा रहा है. कोच हरेंद्र सिंह की टीम ने अपेक्षा के अनुरूप शुरुआत करते हुए दक्षिण अफ्रीका को पूरे 60 मिनट मैच में वापसी का मौका ही नहीं दिया.

कोच हरेंद्र सिंह ने टूर्नामेंट से पहले ही कहा था कि उनके खिलाड़ी आक्रामक खेल दिखाएंगे और मनप्रीत सिंह एंड कंपनी ने वही किया. भारत को पहला पेनल्टी कॉर्नर सातवें मिनट में मिला, जिस पर हरमनप्रीत सिंह का निशाना चूकने के बाद मनदीप ने रिबाउंड पर गोल दागा.

पहले क्वार्टर में ही भारत ने अपनी बढ़त दुगुनी कर ली जब 12वें मिनट में आकाशदीप ने बेहतरीन फील्ड गोल किया. दूसरे क्वार्टर में भी दक्षिण अफ्रीकी टीम भारत के डिफेंस को भेदने में नाकाम रही. भारत को 19वें मिनट में मिला पेनल्टी कॉर्नर बेकार गया, जबकि 27वें मिनट में टीम ने एक और सुनहरा मौका गंवा दिया.

ब्रेक के बाद भारत को 34वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह फिर गोल नहीं कर सके. तीसरे क्वार्टर के आखिरी दो मिनट में भारत ने दो गोल करके अपनी बढ़त और मजबूत कर ली. सिमरनजीत ने 43वें मिनट में और इसके दो मिनट बाद ललित ने गोल किया .

मनदीप अकेले गेंद लेकर दाहिने फ्लैंक से दौड़े और सिमरनजीत को सर्कल के भीतर उम्दा क्रॉस दिया, जिसने गेंद को गोल के भीतर डिफ्लैक्ट करने में कोई चूक नहीं की. इसके दो मिनट बाद आकाशदीप के मूव पर ललित ने गोल करके भारत को 4-0 की बढ़त दिला दी.

आखिरी क्वार्टर में भारत को पहले ही मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला. इस पर सिमरनजीत ने दक्षिण अफ्रीकी गोलकीपर रासी पीटर्स को छकाकर रिबाउंड पर गोल दागा. दक्षिण अफ्रीका को मैच का एकमात्र पेनल्टी कार्नर 42वें मिनट में मिला, जिस पर गोल नहीं हो सका.

बेल्जियम ने उद्घाटन मैच में कनाडा को हराया

ओलंपिक रजत पदक विजेता बेल्जियम ने हॉकी विश्व कप के उद्घाटन मैच में बुधवार को कनाडा को 2-1 से हरा दिया. दुनिया की तीसरे नंबर की टीम बेल्जियम का इस बेमेल मुकाबले में 11वीं रैंकिंग वाली कनाडा को हराना तय ही माना जा रहा था, लेकिन टीम ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित नहीं किया.

अब बेल्जियम टीम दो दिसंबर को भारत से खेलेगी, जबकि कनाडा का सामना दक्षिण अफ्रीका से होगा. पहले दो क्वार्टर में बेल्जियम ने काफी तेज रफ्तार हॉकी खेली, लेकिन बाद में लय कायम नहीं रख सकी.

Thursday, November 15, 2018

भाजपा ने सरताज, कुसमरिया समेत 53 बागियों को पार्टी से निकाला, कांग्रेस के 14 बागी अब भी डटे

नामांकन वापसी के आखिरी दिन बुधवार को दिनभर चली मान-मनौवल के बाद भी बात न बनने पर भाजपा ने अपने 53 बागियों को देर शाम पार्टी से निष्कासित कर दिया। इनमें कांग्रेस के टिकट पर उतरे सरताज सिंह और निर्दलीय ताल ठोक रहे पूर्व सांसद रामकृष्ण कुसमरिया के नाम शामिल हैं।

बुधवार देर शाम धर्मेंद्र प्रधान, विनय सहस्त्रबुद्धे, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह ने बैठक में इन बागियों के निष्कासन का फैसला लिया। इसके आदेश जिला मुख्यालयों को भेज दिए गए हैं। वहीं कांग्रेस के 14 बागी मैदान में डटे हैं। उन्हें मनाने की कोशिशें बेकार रहीं। हालांकि झाबुआ से पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा को पार्टी ने तत्काल निष्कासित कर दिया। इस बीच, पूरे प्रदेश में दिनभर में 556 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिए। 9 नवंबर तक 4157 प्रत्याशी मैदान में थे, अब 2907 ही बचे हैं।

डागा माने, कुसमरिया अड़े: इससे पहले दिन में कुसमरिया को मनाने के लिए हेलिकॉप्टर से प्रभात झा उनके घर पहुंचे, पर उन्हें डेढ़ घंटे इंतजार के बाद खाली हाथ लौटना पड़ा। वहीं भोपाल की हुजूर सीट से निर्दलीय खड़े पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात के बाद पर्चा वापस ले लिया। उधर, विदिशा जिले की शमशाबाद सीट से निर्दलीय उतरे पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने भी अमित शाह के कहने पर नामांकन वापस ले लिया।

ये नहीं माने:  भिंड से भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह सपा टिकट पर उतरे हैं। गुना की बमोरी सीट से पूर्व मंत्री केएल अग्रवाल भी नहीं माने।  पूर्व मोर्चा अध्यक्ष धीरज पटैरिया, बैरसिया से पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर, पुष्पराज गढ़ सीट से पूर्व विधायक सुदामा सिंह, ग्वालियर दक्षिण से पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता, बाबूलाल मेवरा, राजकुमार मेव नहीं माने।  वहीं उषा सक्सेना, शाजापुर से बागी जेपी मंडलोई सरीखे कई दिग्गजों ने भाजपा उम्मीदवारों की नींद उड़ा दी है। शाजापुर में भाजपा प्रत्याशी अरुण भीमावद और बागी मंडलोई दोनों ही पाटीदार समाज के होने से वोट बंटेंगे।

और ये बागी मान गए: सुसनेर से दावेदारी कर रहे गो-संवर्धन बोर्ड के उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक (भाजपा) संतोष जोशी, बड़नगर में पूर्व विधायक पुत्र जितेंद्र पंड्या, नागदा-खाचरौद भाजपा के दयाराम धाकड़ ने नाम वापस ले लिया। अब यहां भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला होगा। शुजालपुर में भाजपा से असंतुष्ट राजेंद्रसिंह राजपूत ने अपना नाम वापस ले लिया है।

भोपाल, इंदौर के बागी माने, आधे से ज्यादा बैकफुट पर:  इधर कांग्रेस में दो दर्जन बागियों में से 14 मैदान में रह गए हैं, जबकि  भोपाल उत्तर से सऊद व मध्य से नासिर इस्लाम और इंदौर-1 से प्रीति अग्निहोत्री, कमलेश खंडेलवाल, इंदौर-5 से छोटे यादव ने पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन में नाम वापस ले लिया है

वहीं, उज्जैन जिले में बगावत खत्म नहीं हो सकी। उज्जैन दक्षिण में राजेद्र वशिष्ठ के सामने बागी जयसिंह दरबार (दिग्विजय समर्थक) और उज्जैन उत्तर में राजेंद्र भारती के सामने माया त्रिवेदी (कमलनाथ समर्थक) निर्दलीय मैदान में हैं। महिदपुर से कांग्रेस के बागी दिनेश जैन (बोस) मैदान में है। जैन को निर्वाचन अधिकारी ने ट्रैक्टर चलाता हुआ किसान चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिया है। जैन पिछले चुनाव में इस सीट से 51 हजार वोट हासिल कर चुके हैं।

जोबट सीट से बागी निर्दलीय प्रत्याशी विशाल रावत को भी पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। कांग्रेस के बड़े बागी नामों में ग्वालियर दक्षिण से बसपा प्रत्याशी साहिब सिंह गुर्जर, राजनगर से पूर्व सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी के पुत्र नितिन चतुर्वेदी, केदार डाबर (दिग्विजय समर्थक) भगवानपुरा से मैदान में है।

पंधाना से रूपाली बारे, घोड़ाडोंगरी से पूर्व मंत्री प्रताप सिंह उइके चुनाव लड़ रहे हैं। इन्हें मनाने की कोशिशें बेकार रहीं। शहपुरा में कांग्रेस प्रत्याशी भूपेंद्र मरावी की मौसी ने उनके समर्थन में नाम वापस ले लिया है। ऐसे ही जावरा से किसान नेता डीपी धाकड़ ने नाम वापस ले लिया है, लेकिन कांग्रेस के दूसरे बागी हमीर सिंह राठौर ने पर्चा वापस नहीं लिया है। इस सीट पर बागी होने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है।

मंदसौर में निर्दलीय फार्म भरने वाले महेंद्र पाटीदार ने अपना नाम वापस ले लिया है, जिसके चलते उन्हें आज ही कांग्रेस में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दे दी गई है। सुसनेर से राणा विक्रम सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। आगर-मालवा से मधु गेहलोत ने नाम वापस नहीं लिया। इनके मैदान में डटे रहने से कांग्रेस से ज्यादा नुकसान भाजपा को उठाना पड़ेगा। क्योंकि सपाक्स संगठन के वे वाेट उन्हें मिलेंगे जो अब तक भाजपा मिलते हैं।

बुरहानपुर से सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा भैया निर्दलीय मैदान में है जो पार्टी के प्रत्याशी रविंद्र महाजन के लिए मुसीबत पैदा करेंगे। मंदसौर जिले में सुवासरा से कांग्रेस के जिला कार्यवाहक अध्यक्ष व पूर्व जिपं सदस्य ओमसिंह भाटी बागी बन गए। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन के कहने के बाद भी फॉर्म वापस नहीं लिया। वे कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप सिंह डंग के लिए परेशानी बनेंगे। गरोठ से कांग्रेस नेता व पूर्व जनपद अध्यक्ष तूफानसिंह सिसौदिया ने नामांकन वापस नहीं लिया। पूर्व सांसद नटराजन की सारी कोशिशें विफल रही। वे पूर्व मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी सुभाष सोजतिया के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।