Thursday, March 21, 2019

पाकिस्तान को अमेरिका की चेतावनी- अब भारत पर हमला हुआ तो 'बहुत मुश्किल' हो जाएगी

आतंकवाद के मसले पर अमेरिका ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर भारत पर आगे कोई आतंकी हमला होता है तो यह उसके लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है. पाकिस्तान को आगाह करते हुए अमेरिका ने साफ कर दिया है कि उसे आतंकी संगठनों पर ठोस कार्रवाई करनी होगी. अमेरिका ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि खास-तौर पर जैश-ए मोहम्मद और लश्कर-ए तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान को पुख्ता एक्शन लेना होगा.

वाशिंगटन में व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है. भारत-पाकिस्तान क्षेत्र में किसी प्रकार का तनाव पैदा न हो, इसके लिए जरूरी है कि पाकिस्तान खासकर जैश-ए मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ सख्त कदम उठाए. अमेरिका ने कहा है कि अगर हालात बिगड़ते हैं तो दोनों देशों के लिए खतरनाक होंगे. बता दें कि जैश-ए मोहम्मद वो आतंकी संगठन है, जिसने पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ जवानों के काफिले को निशाना बनाया था और उसमें 40 जवानों की शहादत हुई थी. इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक कर वहां मौजूद आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था. पुलवामा के दोषियों पर कार्रवाई के लिए भारत पाकिस्तान को सबूत भी सौंप चुका है.

अमेरिकी अधिकारी ने ये भी कहा कि पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान ने शुरुआती एक्शन लिए हैं, जिसमें आतंकी संगठनों की संपत्तियां जब्त की गई हैं और उनकी गिरफ्तारियां भी हुई हैं. पाकिस्तान ने जैश के कुछ प्रमुख ठिकानों को भी अपने कब्जे में लिया है. लेकिन हम इससे काफी ज्यादा एक्शन देखना चाहते हैं. अमेरिका ने पाकिस्तान से स्पष्ट कहा है कि पहले भी पाकिस्तान की तरफ से गिरफ्तारी जैसे कदम उठाए गए हैं, लेकिन बाद में इन आतंकियों को छोड़ दिया जाता है. यहां तक कि आतंक के आकाओं को पूरे देश में घूमने की भी इजाजत मिल जाती है. ऐसे में पाकिस्तान को अब एकदम ठोस कार्रवाई करनी होगी.

बालाकोट में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर व्हाइट हाउस के अधिकार ने कहा कि अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय देखना चाहता है कि आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई हो. अधिकारी ने कहा, 'अभी पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों को लेकर पूर्ण आकलन करना जल्दबाजी होगी. हाल के दिनों में पाकिस्तान ने कुछ शुरुआती कदम उठाए हैं. मसलन, कुछ आतंकी संगठनों की संपत्तियां जब्त की गई हैं और कुछ की गिरफ्तारी भी हुई हैं और जैश के कुछ ठिकानों को प्रशासन ने अपने कब्जे में लिया है. लेकिन इन कदमों के अलावा अभी पाकिस्तान की ओर से बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.

बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान ने चुनाव लड़ने की खबरों पर विराम लगा दिया है. अभिनेता सलमान खान ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, ना चुनाव लड़ूंगा और ना किसी पार्टी का प्रचार करूंगा. सलमान खान ने एक तरह से सियासत से तौबा करते हुए कहा कि चुनाव लड़ने की अटकलों में कोई दम नहीं है.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोटरों को प्रेरित करने के लिए हाल ही में सलमान खान और आमिर खान को टैग करते हुए ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था कि वोटिंग सिर्फ अधिकार नहीं है बल्कि कर्तव्य भी है. ये वक्त देश के युवाओं को अपने अंदाज में वोट करने के लिए प्रेरित करने का है, जिससे हम अपने लोकतंत्र और देश को मजबूत कर सकें. सलमान खान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ट्वीट का होली के दिन जवाब देते हुए लिखा कि 'हम लोकतंत्र में रहते हैं, वोट डालना हर भारतीय का कर्तव्य है. मैं हर वोटर से कहूंगा कि अपने अधिकार का इस्तेमाल करें.

बता दें कि मध्य प्रदेश कांग्रेस बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में अपने प्रत्याशी के लिए लोकसभा चुनाव प्रचार में उतारने की कोशिश में था. जिससे बीजेपी का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर 30 साल बाद जीत दर्ज की जा सके.

सलमान का जन्म इंदौर के पलासिया इलाके में हुआ था और मुंबई में शिफ्ट होने से पहले उन्होंने इंदौर शहर में अपने बचपन का काफी समय गुजारा है. मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा था कि हमारे नेता सलमान खान से इंदौर में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करने की पहले ही बातचीत कर चुके हैं. हालांकि सलमान खान ने अब राजनीति में उतरने की खबरों और कयासों का खंडन कर दिया है.

Thursday, March 7, 2019

मोदी सरकार के स्वच्छ भारत मिशन में कितना साफ़ हुआ देश?

दावा- स्वच्छ भारत मिशन के तहत केन्द्र सरकार ने एक करोड़ शौचालय बनाने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि अब भारत के 90 फ़ीसदी घरों में शौचालय है, जिनमें से तक़रीबन 40 फ़ीसदी 2014 में नई सरकार के आने के बाद बने हैं.

सच्चाई - ये बात सही है कि मोदी सरकार के समय घरों में शौचालय बनाने के काम ने रफ़्तार पकड़ी है, लेकिन ये बात भी सही है कि अलग-अलग कारणों से नए बने शौचालयों का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है.

"आज, 90 फ़ीसदी से ज़्यादा घरों में टॉयलेट की सुविधा मौजूद है, जो 2014 के पहले केवल 40 फ़ीसदी घरों में थी" सितंबर 2018 में नरेन्द्र मोदी ने ऐसा कहा था.

लेकिन विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस परियोजना की आलोचना की थी.

कांग्रेस सरकार में पेयजल और स्वच्छता मंत्री रहे जयराम रमेश ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था, "हवाई दावों को सच साबित करने के लिए बड़े पैमाने पर शौचालयों के निर्माण के लक्ष्य को पूरी तरह से भटका दिया."

स्वच्छ भारत ग्रमीण - इसके तहत गांवों में हर घर में शौचालय बनाने और खुले में शौच मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है.

स्वच्छ भारत शहरी - घरों के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर भी शौचालय हो, ये सुनिश्चित करना इस मिशन का मक़सद है. साथ ही कूड़ा-कचरा प्रबंधन पर भी मिशन में ज़्यादा फ़ोकस है.

भारत में खुले में शौच सालों से चली आ रही समस्या है, जिसकी वजह से कई बीमारियां भी फैलती हैं.

महिलाओं के लिए ये सुरक्षा से जुड़ा मामला भी है, क्योंकि घर में शौचालय नहीं होने की सूरत में महिलाओं को अंधेरे में शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है.

भारत सरकार स्वच्छ भारत मिशन को सफल बताते हुए दावा कर रही है कि लक्ष्य का 96.25 फ़ीसदी काम पूरा हो चुका है.

जबकि अक्टूबर 2014 के पहले केवल 38.7 फ़ीसदी घरों में ही शौचालय थे.

इन आंकड़ों से साफ़ है कि भाजपा के शासन में कांग्रेस के शासनकाल से मुक़ाबले दोगुनी तेजी से शौचालय बने हैं.

स्वच्छ भारत मिशन: कितनी सफ़ाई.. कितनी गंदगी..
‘खुले में शौच मुक्त’ घोषित होने के लिए बिहार कितना तैयार?
भारत के ग्रामीण इलाक़े, कितने खुले में शौच मुक्त हो पाए हैं, उस पर NARSS नाम की एक स्वतंत्र एजेंसी ने सर्वे किया है. नवंबर 2017 और मार्च 2018 के बीच किए गए इस सर्वे में 77 फीसदी ग्रामीण घरों में शौचालय पाए गए और ये भी बताया गया कि भारत में 93.4 फ़ीसदी लोग शौचालय का इस्तेमाल करते हैं.

इस सर्वे में 6,136 गांवों के 92,000 घरों को शामिल किया गया.

स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि देश भर के 36 में से 27 राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश खुले में शौच मुक्त हो गए हैं, जबकि 2015-16 में केवल सिक्किम ही एकमात्र ऐसा राज्य था, जो खुले में शौच मुक्त था.

टॉयलेट का इस्तेमाल
केन्द्र में मोदी सरकार के कार्यकाल में देश भर में कितने शौचालय बने इसके कई आंकड़े हैं, लेकिन इसका कोई आंकड़ा नहीं कि बनाए गए शौचालयों का कितने लोग इस्तेमाल करते हैं.

साफ़ है कि शौचालय बनाने का ये मतलब कतई नहीं माना जाए कि उन शौचालयों का इस्तेमाल हो भी रहा है.

नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफ़िस के 2016 के आंकड़े के मुताबिक़ दो साल पहले जिन 45 फ़ीसदी घरों में शौचालय थे उनमें से पांच फ़ीसदी घरों में शौचालय का इस्तेमाल नहीं होता था और तीन फ़ीसदी घरों में शौचालयों में पानी का कनेक्शन नहीं था.

स्वच्छ भारत ग्रामीण मिशन में सचिव परमेश्वरन अय्यर ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के सफर में तब से अब तक कई बदलाव हुए हैं.

लेकिन कई एनजीओ ने इस मिशन पर काफी पड़ताल की है और उनकी पड़ताल में इस मिशन की कई ख़ामियां सामने आई हैं-

• कई शौचालय सिंगल पिट बन कर तैयार हुए हैं, जो हर पांच से सात साल में भर जाते हैं.

• कई जगहों पर शौचालयों के रख-रखाव की समस्या है.

• कई शहरों और गांवों में टारगेट ही गलत सेट किए गए हैं.

2015 में मोदी सरकार ने दावा किया था कि हर सरकारी स्कूल में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए हैं.

लेकिन 2016 की ASER रिपोर्ट के मुताबिक़ 23 फीसदी सरकारी स्कूल में शौचालय की सुविधा है ही नहीं.

स्वच्छ भारत मिशन के कई रिपोर्ट से ये भी पता चला है कि शौचालय बनाने के टारगेट कई साल पुराने है और तब से अब तक काफी पानी बह चुका है.

2018 में गुजरात के स्वच्छ भारत मिशन पर जारी की गई CAG रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात में शौचालय बनाने के टारगेट 2012 के हैं. लेकिन तब से अब तक वहां जनसंख्या भी बढ़ गई है और परिवार की संख्या भी.

खुले में शौच मुक्त का सच
बीबीसी की मराठी सेवा ने 2018 में महाराष्ट्र सरकार के दावों का सच जानने के लिए ख़ुद ही कुछ इलाक़ों का सर्वेक्षण किया था. उन्होंने पाया कि एक गांव में 25 फ़ीसदी घरों में शौचालय की सुविधा नहीं थी और वो खुले में शौच के लिए जाने के लिए मजबूर थे.

जैसे ही बीबीसी मराठी सेवा की कहानी स्थानीय प्रशासन के कानों तक पहुंची, प्रशासन तुरंत हरकत में आया जिसके बाद वहां और शौचालय बनाए गए.