Wednesday, January 30, 2019

मोदी से रिश्ते और बयानों से समझें क्या है गडकरी की पॉलिटिक्स

गडकरी ने अपने बयान में कहा, "सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं पर दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है. इसलिए सपने वही दिखाओं जो पूरे हो सकें. मैं सपने दिखाने वालों में से नहीं हूं, मैं जो बोलता हूं वो शत प्रतिशत डंके की चोट पर पूरा होता है."

अपने इस बयान में गडकरी ने किसी नेता या पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका यह बयान उनकी अपनी ही सरकार की मुश्किलों को बढ़ा सकता है. गडकरी के बयान के बाद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट किया है, गडकरी जी हम समझ गए हैं कि आपका निशाना किधर है.

वहीं एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट किया है गडकरी काफ़ी चतुराई से पीएम मोदी को आईना दिखाने का काम कर रहे हैं. इन सबका असर ये हुआ है कि बीजेपी को सफ़ाई देनी पड़ी है कि नितिन गडकरी का बयान विपक्ष के नेताओं के लिए था, ना कि नरेंद्र मोदी के लिए, क्योंकि प्रधानमंत्री जी सपने नहीं दिखाते हैं, सपने पूरे करते हैं.

दरअसल ये कोई पहला मौका नहीं है, जब गडकरी ने ऐसा बयान दिया है जो उनकी अपनी सरकार के लिए ही मुश्किल भरा साबित हो रहा है. बीते सात जनवरी को नागपुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वे आरक्षण की व्यवस्था में यक़ीन नहीं रखते हैं. 'इस देश में इंदिरा गांधी जैसी नेता भी थीं, क्या उन्होंने कभी आरक्षण का सहारा लिया.'

इससे पहले भी एक बार मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कह चुके थे कि आरक्षण देने का क्या फ़ायदा जब नौकरियां ही नहीं हैं.

इससे पहले 24 दिसंबर, 2018 में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम और तीन राज्यों में पार्टी के हाथ से सत्ता निकलने पर दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सालाना लेक्चर में उन्होंने कहा था कि पार्टी के विधायक और सांसद अच्छा काम नहीं करते हैं तो उसकी ज़िम्मेदारी पार्टी के मुखिया की होती है.

गडकरी के ऐसे बयान जब भी आते हैं राजनीतिक तौर पर हेडलाइंस बनाते हैं, क्योंकि मौजूदा समय में पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी के सामने इस तरह के बयान देने वाले वे इकलौते नेता हैं.

उनके इन बयानों पर वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार अजय सिंह बताते हैं, "गडकरी जी खुलकर बोलते हैं, उनके दिमाग में जो आता है, वो बोलते हैं. लेकिन वे बीजेपी के विरोध में बोल रहे हैं या फिर प्राइम मिनिस्टर के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं, ये कहीं से समझ में नहीं आता है. वे जो बोलते हैं वो तो किसी और पार्टी के लिए भी सही हो सकता है."

बीजेपी पर नब्बे के दशक से ही नज़र रखने वाले वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार विजय त्रिवेदी की राय इससे उलट है. वे कहते हैं, "नितिन गडकरी मंजे हुए राजनेता हैं. वे जो कुछ भी बोलते हैं उसके मायने होते हैं. उन्होंने अपने ताज़ा बयान से इस ओर इशारा किया है कि उनकी सरकार में कुछ लोग ऐसे हैं जो केवल सपने दिखाते होंगे, लेकिन वे ख़ुद उनमें शामिल नहीं हैं. तीन राज्यों में बीजेपी की हार पर जो उनका बयान आया था, वह तो कांग्रेस के लिए नहीं ही रहा होगा ना."

दरअसल, नितिन गडकरी भारतीय जनता पार्टी के कोई आम नेता नहीं हैं, वे भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं. पार्टी के अंदर उनकी पकड़ कितनी मज़बूत रही है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने संविधान को उनको दोबारा अध्यक्ष बनाने के लिए बदला था.

2009 से 2013 के बीच भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी के चलते पार्टी का संविधान ज़रूर बदला लेकिन पूर्ति घोटाले की आंच के चलते वे दोबारा पार्टी के अध्यक्ष नहीं बन पाए थे. इसके अलावा वे उस नागपुर से आते हैं जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय रहा है. ऐसे में उन्हें संघ का बेहद नज़दीकी नेता माना जाता रहा है.

विजय त्रिवेदी कहते हैं, "नितिन गडकरी जी को एक तरह से संघ के वायस के तौर पर देखा जाता है. ऐसे में उनके बयान से एक बड़ा संदेश ये ज़रूर उभर रहा है कि क्या संघ, ऐसे संदेश पार्टी और सरकार को तो नहीं देना चाहता? क्योंकि संघ से समर्थन के बिना गडकरी जैसे बड़े नेता ऐसे बयान तो नहीं ही दे सकते हैं."

हालांकि मराठी पत्रकार और विश्लेषक प्रकाश बल के मुताबिक, "संघ से गडकरी की बेहद नज़दीकी है लेकिन संघ उनके सहारे मौजूदा सरकार पर सवाल उठा रहा होगा, ऐसा आकलन करना बहुत दूर की बात होगी."

Tuesday, January 22, 2019

कौन हैं श्री शिवकुमार स्वामी जी जिनके निधन पर है तीन दिन का शोक

श्री श्री श्री डॉक्टर शिवकुमारा स्वामीजी, जिन्होंने 111 साल की उम्र में सोमवार को अंतिम सांस ली, उन्हें कर्नाटक में "वॉकिंग गॉड" या "चलता-फिरता भगवान" के नाम से जाने जाते थे.

वे पिछले आठ से भी ज़्यादा दशक से सिद्धगंगा मठ के प्रमुख थे, जो बेंगलुरू से 70 किलोमीटर दूर टुमकूर में लिंगायत समुदाय की सबसे शक्तिशाली धार्मिक संस्थाओं में गिना जाता है.

कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्त चीफ़ सेक्रेटरी डॉक्टर एसएम जामदार ने कहा, "लिंगायत स्वामियों में, या कहें कि भारत के आध्यात्मिक गुरूओं में, उनकी शख़्सियत दुर्लभों में भी दुर्लभतम थी. वे कई स्वामियों के आदर्श थे."

बाक़ी धार्मिक गुरूओं से अलग

धार्मिक विषयों के जानकार, वचन स्टडीज़ के पूर्व निदेशक रमज़ान दर्गा कहते है, "88 सालों से उन्होंने हर जाति और हर समुदाय के अनाथों और बच्चों की सेवा की. कोई भी उनके आवासीय स्कूलों में जा सकता था, पढ़ सकता था. वो जो करते थे, वो बड़ा सीधा था - कि लोगों की सेवा करना भगवान की सेवा करने जैसा है."

चित्रदुर्गा स्थित मुर्गाराजेंद्र मठ के डॉक्टर शिवमूर्ति मुरूगा शरनु स्वामीजी ने कहा, "उनके मन में कभी भी जाति को लेकर कोई दुर्भावना नहीं रही. उन्होंने सबके लिए खाने का इंतज़ाम किया, ख़ास तौर से बच्चों के लिए, और उन्हें ज्ञान अर्जित करने और समाज को लेकर जागरुक होने के लिए प्रोत्साहित किया."

दर्गा कहते हैं, "केवल अलग जातियों से ही नहीं, अलग धर्मों से भी, जैसे मुसलमानों के बच्चों ने भी उनके आवासीय स्कूलों में पढ़ाई की."

पढ़ें- वीरशैव लिंगायत और लिंगायतों में क्या अंतर है?

डॉक्टर जामदार और दर्गा ने कहा कि स्वामीजी ने "केवल बासव की विचारधारा के अनुरूप जीवन जिया."

रमज़ान दर्गा ने कहा, "बासव विचारधारा ने सभी जाति और नस्ल की व्यवस्था को नकार दिया. वो वैदिक व्यवस्था के ठीक उलट है जो जाति व्यवस्था को मानती है. बासव समानतावादी थे. और स्वामीजी ने बासव की सोच वाले समाज को बनाने के लिए काम किया."

डॉक्टर जामदार कहते हैं, "आठ दशकों तक उन्होंने बच्चों को मुफ़्त भोजन और मुफ़्त शिक्षा दी. उनके संस्थानों में तीन हज़ार छात्र पढ़ा करते थे. आज वहाँ आठ से नौ हज़ार छात्र पढ़ते हैं. उनके छात्र पूरी दुनिया में फैले हैं. एक अनुमान है कि उनके संस्थान से लगभग 10 लाख छात्रों ने पढ़ाई की है. "

डॉक्टर शिवमूर्ति ने बताया, "उन्होंने सैकड़ों शिक्षण संस्थान बनवाए. उन्होंने इतनी लंबी उम्र अपने खान-पान और जीवन शैली में अनुशासन की वजह से पाई. "

थिएटर कलाकार सुषमा राव ने स्वामीजी को याद करते हुए एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखी है. अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ''मैं उस समय करीब 13 साल की थी. हम लोग स्कूल की तरफ से शिवगंगा घूमने गए थे. वहां से लौटते हुए हम सभी सिद्दगंगा मठ पर दोपहर के खाने के लिए रुके. खाने से पहले हम कुछ लड़कियों को अलग बैठने के लिए बोल दिया गया. कुछ देर में भगवा चोला ओढ़े एक बूढ़े साधू बाबा अपने अनुयायियों के साथ वहां से गुज़रे. उन्होंने हमसे पूछा कि हम अलग क्यों बैठी हैं. हमने बताया कि इस समय हमारा मासिक धर्म चल रहा है इसलिए हमें अलग बैठाया गया है.''

''यह जानकर उन्हें बहुत दुख हुआ. उन्होंने कहा यह तो सामान्य सी शारीरिक प्रक्रिया है, इसे लेकर शर्म क्यों है. उन्होंने हमें बाकी लड़कियों के साथ बैठकर खाने के लिए कहा. उन्होंने मुस्कुराते हुए हमें समझाया कि कभी भी उन बातों के लिए शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए जो एक महिला होने के नाते हमारे शरीर में होती हैं. हमें हमेशा अपने शरीर पर गर्व होना चाहिए. उस समय नहीं मालूम था कि वे कौन थे. हम उन्हें 'घूमने वाले भगवान' के तौर पर याद करते थे. हमारे लिए वे एक आदर्श थे.''

Friday, January 18, 2019

特朗普身上的官司:为何说美国司法体系面临空前挑战

《纽约时报》2019年1月11日报道,联邦调查局FBI在2017年中开始了一项针对特朗普反间谍调查,原因是特朗普的行为已经构成对美国国家安全的危害。FBI有足够理由相信特朗普可能在秘密为俄国政府工作。这项反间谍调查已经合并入特别检察官的调查之中。

经过两年来数以百计的美国调查记者的努力,加上公布出来的法庭文件,特朗普相干法律诉讼的轮廓已经非常清晰。正如新罕布什尔大学教授阿布拉姆斯教授在他长达450页、包括1650个权威脚注的《勾结的证据:特朗普出卖美国》(Proof of Collusion: How Trump Betrayed America) 一书中总结的:1990年代初,特朗普的房地产生意陷于崩溃,被俄国黑手党和情报部门控制的商业机构所挽救;特朗普的房产生意成为俄国黑帮洗钱的工具;俄国情报机构收集了大量的特朗普的个人黑材料,有效地控制了特朗普家族;特朗普竞选团队雇佣大批俄国线人;特朗普的多名顾问非法地与俄国政府秘密协商如何终止美国对俄国的经济制裁,作为交换,俄国情报机构全力帮助特朗普当选;特朗普家族成员和助手多次与俄方人士勾结,交换信息,被反间谍机构发现和媒体曝光后,试图掩盖真相,操纵证人,打压执法人员,妨害司法公正。

前国家安全局NSA (National Security Agency) 特工约翰• 辛德勒 (John Schindler) 在《评论家》杂志 (Observer) 撰文指出:特朗普集团的成员实际上是一群非常蹩脚的叛国者和罪犯,他们勾结俄国情报人员的方式极其业余。俄国情报人员和线人在西方世界的活动和通讯都受到美国和西方盟国反间谍机构的严密监控,任何美国人与他们的联系都被记录分析。特朗普和他的手下根本不知道美国情报部门的能力,所有他们通敌的证据都被一一记录在案,分析分类后,转交给特别检察官。《新闻周刊》2018年12月10日报道:一名特朗普助手被特别检察官传唤问话之后,哀叹 “他们什么都知道”。

代表加州第15选区的联邦众议员斯瓦维尔(Eric Swalwell) 指出:特朗普的竞选团队是一个犯罪组织,其领导的政府交接过渡团队也是一个犯罪组织,他本人也是一个犯罪份子。前联邦检察官罗森博格 (Chuck Rosenberg)认为:特别检察官穆勒使用的是经典的对待有组织犯罪黑帮的策略:剥茧抽丝,步步为营。从打手到上层,从外围到核心。随着刑事调查的深入,特朗普集团越来越显示出其本质——一个有组织的大型腐败犯罪黑帮。

根据美国调查记者加瑞特•格拉夫 (Garrett Graff) 、阿布拉姆森 (Seth Abramson) 等统计,在2019年初,至少有19宗平行进行的针对特朗普集团的刑事调查和诉讼。

俄国政府攻击美国2016年大选案:特别检察官正在深入调查俄国政府军事情报部门GRU窃取美国政府数据、侵入美国政府网络和选举系统,俄国特工部门"互联网研究中心" (Internet Research Agency) 在美国制造的假新闻,俄罗斯国家安全局FSB的黑客活动,以及特朗普集团与俄国政府和情报部门的串通合作,特别是2016年6月9日特朗普儿子小特朗普、女婿库什纳和竞选主任马纳福特(Paul Manafort) 与俄国特工在纽约特朗普大楼的密会。

此案进展:特别检察官已经起诉了12名隶属GRU的俄国军情人员、13名隶属互联网研究中心的俄国特工、三家俄国公司,和一名协助俄国特工伪装身份的美国公民。马纳福特的助手森姆•帕顿 (Sam Patten)已经和检方合作。从刑事诉讼的角度分析,起诉外国人即预示着检方将起诉与外国人串通阴谋的本国犯罪嫌疑人。马纳福特已经被起诉并被判有罪,并承诺与检方合作以避免终身监禁。美国法律界基本共识是:小特朗普和库什纳在2019年内会被起诉。

Thursday, January 10, 2019

मोदी ने राज्य में गठबंधन के संकेत दिए, कहा- हमारे दरवाजे हमेशा दूसरे दलों के लिए खुले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने के बाद भी दूसरे दलों को सरकार में शामिल करती रही है। उनका कहना था कि हम अपने पुराने दोस्तों का सम्मान करते हैं और अपने दरवाजे हमेशा दूसरों दलों के लिए खुले रखते हैं। हमारे लिए किसी दल के साथ गठबंधन का मतलब जनता के साथ गठजोड़ है।

मोदी गुरुवार को वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए तमिलनाडु के पार्टी कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे। उनका कहना है कि भाजपा उसी रास्ते पर चल रही है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने दिखाया था। अटलजी ने ही भारतीय राजनीति को गठबंधन का धर्म समझाया था। एनडीए की मजबूती का आधार विश्वास है, न कि मजबूरी। उनसे पूछा गया था कि क्या भाजपा अन्नाद्रमुक, द्रमुक या फिर रजनीकांत से गठजोड़ करेगी?

कांग्रेस ने सेनाओं को गहरा आघात पहुंचाया-मोदी
मोदी ने कहा कि लोग मानते हैं कि कांग्रेस अर्थव्यवस्था में कुप्रबंधन के साथ भ्रष्टाचार की वजह से फेल हुई, लेकिन कांग्रेस ने सेनाओं को भी गहरा आघात पहुंचाया। पार्टी ने रक्षा क्षेत्र को बिचौलियों के हवाले कर दिया। कांग्रेस के इस कदम की वजह से सेना को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा। हाल ही में जिस बिचौलिये को पकड़ा गया है, उसकी कांग्रेस के प्रथम परिवार से नजदीकी रही है। देश की जनता यह जानने की हकदार है कि कैसे एक बिचौलिए मिशेल को सुरक्षा संबंधी कैबिनेट की बैठक का समय, सरकारी फाइल का स्टेटस पता था। 10 साल तक राफेल की खरीद प्रक्रिया में देरी होने के पीछे उसकी क्या भूमिका थी। उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने में क्या भूमिका रही?

रजनीकांत ने 2021 चुनाव लड़ने की घोषणा की
सुपरस्टार रजनीकांत ने 31 दिसंबर 2018 को घोषणा की थी कि 2021 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि, इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में लड़ने के बारे में उनका कहना था कि इस पर फैसला सही समय पर लिया जाएगा। लोकल बॉडीज का चुनाव लड़ने से उन्होंने साफ तौर पर इनकार कर दिया था।

कमल बना चुके हैं पार्टी, आप से दिखी नजदीकी
तमिल सिनेमा के दूसरे सुपरस्टार कमल हासन अपनी नई पार्टी का ऐलान कर चुके हैं। मक्कल निधि मायम यानी पीपल्स जस्टिस सेंटर नाम से बनाई गई उनकी पार्टी तमिलनाडु में पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रही है। आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पिछले दिनों वे मदुरै में मंच साझा करते भी दिखे।

बॉक्सर एमसी मैरीकॉम अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग एसोसिएशन (एआईबीए) की वर्ल्ड रैंकिंग में पहले स्थान पर पहुंच गईं है। मैरीकॉम ने पिछले साल नई दिल्ली में वर्ल्ड चैम्पियन बनी थीं। यह उनका छठा वर्ल्ड चैम्पियनशिप खिताब था। उन्हें 48 किलोग्राम भार वर्ग में 1700 अंक मिले हैं। हालांकि, अगले साल टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक खेलों में मैरीकॉम 48 की जगह 51 किलोग्राम भार वर्ग में चुनौती पेश करेंगी।

मैरीकॉम ने 2018 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स और पोलैंड में हुए एक टूर्नामेंट में गोल्ड जीता था। वहीं, बुल्गारिया में सत्रान्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। मैरीकॉम के नाम कुल वर्ल्ड चैम्पियनशिप में छह, एशियन गेम्स में एक, एशियन चैम्पियनशिप में पांच, कॉमनवेल्थ गेम्स में एक और एशियन इंडोर गेम्स में एक गोल्ड जीता है।

सोनिया लाठेर 57 किलोग्राम भार वर्ग में दूसरे स्थान पर

दूसरी ओर, भारत की पिंकी जांगड़ा 51 किलोग्राम भार वर्ग और मनीषा मउन 51 किलोग्राम भार वर्ग में आठवें स्थान पर पहुंच गईं। वर्ल्ड चैम्पियनशिप में रजत पदक जीत चुकीं सोनिया लाठेर 57 किलोग्राम भार वर्ग में दूसरे स्थान पर कायम हैं।

Thursday, January 3, 2019

सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय सरकार से पूछा- बचाव अभियान में अब तक कामयाबी क्यों नहीं मिली?

मेघालय में एक अवैध खदान में 13 दिसंबर में फंसे 15 मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है। यह 15 लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल है। शीर्ष अदालत ने मेघालय सरकार से कहा कि आप जो भी बचाव अभियान चला रहे हैं, हम उससे संतुष्ट नहीं हैं। अब तक कामयाबी क्यों नहीं मिली? इस वक्त 1-1 सेकेंड अहम है। हम प्रार्थना करते हैं कि खदान में फंसे सभी मजदूर जीवित हों। उन्हें अब तक बाहर निकाल लिया जाना चाहिए था।

केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल जरूरी : सुप्रीम कोर्ट
मेघालय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में घटनास्थल पर एनडीआरएफ के 72, नौसेना के 14 कर्मी मौजूद हैं। कोल इंडिया के लोग भी वहां 14 दिसंबर से प्रयास कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा है तो उन्हें अब तक कामयाबी क्यों नहीं मिली? केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल जरूरी है। तुंरत प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।

13 दिसंबर को मजदूर इस खदान में उतरे थे। इसी दौरान पास बहने वाली लैटीन नदी का पानी इसमें भर गया था। इसके चलते मजदूर अंदर ही फंस गए। खदान को रैट होल कहा जाता है। एनजीटी ने यहां ऐसी खदानों पर रोक लगाई थी, लेकिन अवैध तरीके से खनन जारी था।

मौके पर ये टीमें मौजूद
नौसेना: 14 सदस्यीय दल में गोताखोर भी शामिल। इसके अलावा री-कम्प्रेशन चैम्बर, रिमोट द्वारा ऑपरेट होने वाले उपकरण, पानी के भीतर खोज करने वाले उपकरण भी मौजूद हैं।
वायुसेना: दल 10 हाईपावर पंप लेकर मौके पर मौजूद। ये पंप हर मिनट 1600 लीटर पानी बाहर फेंक सकते हैं।
ओडिशा फायर डिपार्टमेंट: 20 सदस्यीय दल को इस तरह के हालात का अनुभव है। 
किर्लोस्कर और कोल इंडिया: किर्लोस्कर हाईपावर पंप लेकर मौके पर मौजूद है। इसी कंपनी ने इंडोनेशिया की गुफा में फंसी फुटबॉल टीम के बचाव अभियान में अत्याधुनिक उपकरण भेजे थे। कोल इंडिया ने भी हाईपावर पंप भेजे।
एनडीआरएफ-एसडीआरएफ: दोनों राहत बलों के सदस्य घटना के पहले दिन से ही मौके पर हैं। उनके पास खदान और उसमें फंसे मजदूरों के बारे में अहम जानकारियां हैं। इनके अलावा लोकल टीमें भी मौजूद हैं।

एनडीआरएफ के पास उच्च क्षमता के पंप नहीं थे। घटना के दो हफ्ते बाद एयरफोर्स से पंप पहुंचाने के लिए मदद मांगी गई।
जिला कमिश्नर को एक हफ्ता पंप मंगाने के लिए मेघालय सरकार को चिठ्ठी लिखने में, दूसरा हफ्ता कोल इंडिया से मदद मांगने में लग गया।
एनडीआरएफ के गोताखोर 40 फीट गहराई तक ही जा सकते हैं। नौसेना के गोताखोर 29 दिसंबर को मौके पर पहुंचे।
ओडिशा से फायर टीम संयोजन में कमी और लोकल प्रशासन की खामियों के चलते पहुंचने में देरी हुई।
हाईपावर पंपों की इसलिए जरूरत
350 फीट गहरी खदान में 70 फीट तक पानी भरा है। पहले पंपों से पानी निकालने की कोशिश की गई थी। यह इंतजाम नाकाफी हो गया था, इसलिए इसे रोक दिया गया था। बचाव दलों ने हाईपावर पंपों की मांग की थी ताकि पानी तेजी से बाहर निकाला जा सके। माइन सेफ्टी और कोल इंडिया के अफसरों ने भी पानी निकालने के लिए हाईपावर पंपों के इस्तेमाल का सुझाव दिया था।