Thursday, January 3, 2019

सुप्रीम कोर्ट ने मेघालय सरकार से पूछा- बचाव अभियान में अब तक कामयाबी क्यों नहीं मिली?

मेघालय में एक अवैध खदान में 13 दिसंबर में फंसे 15 मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है। यह 15 लोगों की जिंदगी और मौत का सवाल है। शीर्ष अदालत ने मेघालय सरकार से कहा कि आप जो भी बचाव अभियान चला रहे हैं, हम उससे संतुष्ट नहीं हैं। अब तक कामयाबी क्यों नहीं मिली? इस वक्त 1-1 सेकेंड अहम है। हम प्रार्थना करते हैं कि खदान में फंसे सभी मजदूर जीवित हों। उन्हें अब तक बाहर निकाल लिया जाना चाहिए था।

केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल जरूरी : सुप्रीम कोर्ट
मेघालय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में घटनास्थल पर एनडीआरएफ के 72, नौसेना के 14 कर्मी मौजूद हैं। कोल इंडिया के लोग भी वहां 14 दिसंबर से प्रयास कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा है तो उन्हें अब तक कामयाबी क्यों नहीं मिली? केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल जरूरी है। तुंरत प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए।

13 दिसंबर को मजदूर इस खदान में उतरे थे। इसी दौरान पास बहने वाली लैटीन नदी का पानी इसमें भर गया था। इसके चलते मजदूर अंदर ही फंस गए। खदान को रैट होल कहा जाता है। एनजीटी ने यहां ऐसी खदानों पर रोक लगाई थी, लेकिन अवैध तरीके से खनन जारी था।

मौके पर ये टीमें मौजूद
नौसेना: 14 सदस्यीय दल में गोताखोर भी शामिल। इसके अलावा री-कम्प्रेशन चैम्बर, रिमोट द्वारा ऑपरेट होने वाले उपकरण, पानी के भीतर खोज करने वाले उपकरण भी मौजूद हैं।
वायुसेना: दल 10 हाईपावर पंप लेकर मौके पर मौजूद। ये पंप हर मिनट 1600 लीटर पानी बाहर फेंक सकते हैं।
ओडिशा फायर डिपार्टमेंट: 20 सदस्यीय दल को इस तरह के हालात का अनुभव है। 
किर्लोस्कर और कोल इंडिया: किर्लोस्कर हाईपावर पंप लेकर मौके पर मौजूद है। इसी कंपनी ने इंडोनेशिया की गुफा में फंसी फुटबॉल टीम के बचाव अभियान में अत्याधुनिक उपकरण भेजे थे। कोल इंडिया ने भी हाईपावर पंप भेजे।
एनडीआरएफ-एसडीआरएफ: दोनों राहत बलों के सदस्य घटना के पहले दिन से ही मौके पर हैं। उनके पास खदान और उसमें फंसे मजदूरों के बारे में अहम जानकारियां हैं। इनके अलावा लोकल टीमें भी मौजूद हैं।

एनडीआरएफ के पास उच्च क्षमता के पंप नहीं थे। घटना के दो हफ्ते बाद एयरफोर्स से पंप पहुंचाने के लिए मदद मांगी गई।
जिला कमिश्नर को एक हफ्ता पंप मंगाने के लिए मेघालय सरकार को चिठ्ठी लिखने में, दूसरा हफ्ता कोल इंडिया से मदद मांगने में लग गया।
एनडीआरएफ के गोताखोर 40 फीट गहराई तक ही जा सकते हैं। नौसेना के गोताखोर 29 दिसंबर को मौके पर पहुंचे।
ओडिशा से फायर टीम संयोजन में कमी और लोकल प्रशासन की खामियों के चलते पहुंचने में देरी हुई।
हाईपावर पंपों की इसलिए जरूरत
350 फीट गहरी खदान में 70 फीट तक पानी भरा है। पहले पंपों से पानी निकालने की कोशिश की गई थी। यह इंतजाम नाकाफी हो गया था, इसलिए इसे रोक दिया गया था। बचाव दलों ने हाईपावर पंपों की मांग की थी ताकि पानी तेजी से बाहर निकाला जा सके। माइन सेफ्टी और कोल इंडिया के अफसरों ने भी पानी निकालने के लिए हाईपावर पंपों के इस्तेमाल का सुझाव दिया था।

No comments:

Post a Comment